Diwali 2010 - Kya ho Gayaa Prakash Putra ko By Mangal Vijay
क्या हो गया प्रकाश पुत्र को ?
-- श्री मंगल विजय (भोपाल) की कालजयी रचना
क्या हो गया प्रकाश पुत्र को ! अन्धकार स्वीकार कर लिया |
तम से समझौता कर डाला, तम को नातेदार कर लिया ||
हर प्रकाश का पुत्र सुना है, अन्धकार को पी लेता है |
फिर प्रकाश का पुत्र किस तरह अन्धकार में जी लेता है ?
कैसी है विडम्बना, तम को जीवन का आधार कर लिया !
तम से समझौता कर डाला, तम को नातेदार कर लिया ||
क्या हो गया प्रकाश पुत्र को ...........
(जो) तम के बंदी बने जनों को मुक्ति दिलाने चल पड़ता था |
कैसे भी तम के घेरे में जो अनवरत जला करता था ||
तम का बंदी होने से फिर क्यों न स्वयं इनकार कर दिया ?
तम से समझौता कर डाला, तम को नातेदार कर लिया ||
क्या हो गया प्रकाश पुत्र को ...........
जो, अथाह तम में डूबों को बाहर ले आया करता था |
तम के तूफानों से जिसका साहस टकराया करता था ||
(वह) तम से हार मान बैठा क्यों, क्यों तम को मझदार कर लिया ?
तम से समझौता कर डाला, तम को नातेदार कर लिया ||
क्या हो गया प्रकाश पुत्र को ...........
ओ ! प्रकाश के पुत्र , ह्रदय की ज्योति तनिक उकसा कर देखो |
अपने कन्धों से , अनचाहे अन्धकार का जुआ फेंको ||
तुमने घोर अमावस में भी तो तम का प्रतिकार कर दिया !
(फिर क्यों) तम से समझौता कर डाला, तम को नातेदार कर लिया ||
क्या हो गया प्रकाश पुत्र को ...........
स्नेह भरो मन के दीपक में , जलने दो जीवन की बाती |
जन - जन को प्रकाश फिर बांटे , जीवन ज्योति सहज मुस्काती ||
क्या कर लेगा अन्धकार अब जल मरना स्वीकार लिया |
तम से समझौता करने से, जीते जी इंकार कर दिया !!